कोरबाछत्तीसगढ़

पंडित शेष कृष्ण दुबे जी ने हरेली त्यौहार में लोगों को दिए बधाई बताए हरेली त्यौहार का महत्व

करनौद से भागवतकर्ता पंडित श्री शेष कृष्ण दुबे महाराज जी ने हरेली त्यौहार में लोगों को दिए बधाई ,महराज जी ने बताया की कैसे मनाए हरेली त्यौहार

कोरबा. हरेली इंसान और प्रकृति के बीच में आपसी रिश्तो को दर्शाता है,यही यो समय होता है जब कृषि कार्य अपने चरम पर होता है, धान रोपाई जैसे महत्वपूर्ण कार्य को पूरा कर लेते हैं, हरेली त्यौहार सावन माह के पहेली अमावस्या को मनाया जाता है, इन दिन किसान अपने पशुओं को औषधि खिलाते हैं, जिसमें यो स्वस्थ रहें और अपने कृषि कार्य अच्छे से हो सके, छत्तीसगढ़ अपने लोग पर्व के साथ लोक व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है, छत्तीसगढ़ में हरेली के लिए भी कुछ खास व्यंजन पकाए जाते हैं गुड़ के चीले ठेकरी खुर्मी और गुलगुला भजिया ,सोहरी, आदि व्यंजन बनाते हैं,।
गेड़ी का खास महत्व
छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार को गेड़ी तिहार के नाम से भी जाना जाता है, गेड़ी बांस से बना होता है जिसका आनंद बच्चों के साथ-साथ बड़े भी लेते हैं इस दिन किसान खेत के कामों से फुर्सत होकर खेलों का मजा लेते हैं बड़े गेड़ी पर चढ़कर एक दूसरे को गिराने की कोशिश करते हैं जो पहले नीचे गिर जाता है वह हार जाता है गेड़ी रेस भी बच्चों में बहुत लोकप्रिय है गेड़ी के साथ ही बड़ों के लिए नारियल का भी खेल खेला जाता है, हरेली त्यौहार आज पशुधन और कृषि उपकरणों की पूजा के साथ शुरू हुआ त्योहारों का सिलसिला हरेली के दिन सबसे ज्यादा मौज मस्ती बच्चे करते हैं बच्चों को साल भर में उस दिन का इंतजार रहता है जब घर के बड़े बुजुर्ग उन्हें बांस की बनी गेड़ियां बना कर देते हैं, कई फीट ऊंची गेडियाँ पर चढ़कर बच्चे अपने लड़खड़ाते चाल में पूरे गांव का चक्कर लगाते हैं मौज मस्ती करते हैं बड़े बच्चों को देखकर छोटे बच्चे भी उनके गेडियां चलाना सीखते हैं, इस तरह परंपरा अगली पीढ़ी तक पहुंचती है गांव के बड़े बुजुर्ग बच्चों को इस दिन प्रकृति के हरियाली का महत्व बताते हैं, पेड़ पौधों को हमेशा अपने आस पास बनाए रखने की शिक्षा देते हैं।

भागवतकर्ता पंडित श्री शेष कृष्ण दुबे जी महराज के अनुसार छत्तीसगढ़ में आज हरेली त्यौहार मनाया जा रहा है माना जाता है कि मंत्र विद्या हरेली से ही आरंभ होती है हरेली तिहार के साथ ही छत्तीसगढ़ में त्योहारों का सिलसिला शुरू हो जाता है इस दिन किसान अपने कृषि यंत्रों पशुधन की पूजा करते हैं ,

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