
आचार्य प्रफुल्ल चन्द्र राय भारत में केवल रसायन शास्त्र ही नहीं, आधुनिक विज्ञान के भी प्रस्तोता थे। वे भारतवासियों के लिए सदैव वन्दनीय रहेंगे।
कोसीर. कोसीर मुख्यालय के स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर में आज 02 अगस्त को रसायनयज्ञ डॉक्टर प्रफुल्ल चन्द्र राय की 161 वीं जयंती मनाई गई और कक्षा 6 वीं से 10 वीं तक के छात्र -छात्राओं ने आज मॉडल बनाकर उन्हें उनकी जयंती पर याद किये जिसमें मुख्य रूप से 6 वीं कक्षा से वैभव ,जॉनसन दुर्गेश ने अपने प्रोजेक्ट में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और 7 वीं से वृक्ष और 10 वीं से चलित पवन चक्की बनाया गया था वहीं 6 वीं कक्षा का प्रोजेक्ट वाटर हार्वेशटिंग सिस्टम प्रशंसनीय रहा ।

डॉ प्रफुल्ल चंद्र राय को जानना और समझना जरूरी है कौन है डॉ राय
डॉ प्रफुल्ल चन्द्र राय 02 अगस्त 1861 — 16 जून 1944) भारत के महान रसायनज्ञ, उद्यमी तथा महान शिक्षक थे। आचार्य राय केवल आधुनिक रसायन शास्त्र के प्रथम भारतीय प्रवक्ता (प्रोफेसर) ही नहीं थे बल्कि उन्होंने ही इस देश में रसायन उद्योग की नींव भी डाली थी। ‘सादा जीवन उच्च विचार’ वाले उनके बहुआयामी व्यक्तित्व से प्रभावित होकर महात्मा गांधी ने कहा था, “शुद्ध भारतीय परिधान में आवेष्टित इस सरल व्यक्ति को देखकर विश्वास ही नहीं होता कि वह एक महान वैज्ञानिक हो सकता है।” आचार्य राय की प्रतिभा इतनी विलक्षण थी कि उनकी आत्मकथा “लाइफ एण्ड एक्सपीरियेंसेस ऑफ बंगाली केमिस्ट” (एक बंगाली रसायनज्ञ का जीवन एवं अनुभव) के प्रकाशित होने पर अतिप्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय विज्ञान पत्रिका “नेचर” ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए लिखा था कि “लिपिबद्ध करने के लिए संभवत: प्रफुल्ल चन्द्र राय से अधिक विशिष्ट जीवन चरित्र किसी और का हो ही नहीं सकता।”डॉ॰ राय को ‘नाइट्राइट्स का मास्टर’ कहा जाता है। उन्हें रसायन के अलाव इतिहास से बड़ा प्रेम था। फलस्वरूप, इन्होंने १०-१२ वर्षो तक गहरा अध्ययन कर हिंदू रसायन का इतिहास नामक महत्वपूर्ण ग्रन्थ लिखा, जिससे आपकी बड़ी प्रसिद्धि हुई। इस पुस्तक द्वारा प्राचीन भारत के अज्ञात, विशिष्ट रसायन विज्ञान का बोध देश और विदेश के वैज्ञानिकों को हुआ, जिन्होंने डॉ॰ राय की बहुत प्रशंसा की। यूरोप की कई भाषाओं में इस पुस्तक के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं तथा इसी पुस्तक के उपलक्ष्य में डरहम विश्वविद्यालय ने आपको डी. एस-सी. की सम्मानित उपाधि प्रदान की।