अंबिकापुर

मेडिकल कालेज में अब स्नातकोत्तर की पढ़ाई कि खुली राह…

अंबिकापुर: मेडिकल कालेज अंबिकापुर में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरंभ करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव की पहल पर मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा 15 विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव भेजा गया था।

इसके लिए मेडिकल कालेज प्रबंधन को आयुष विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ से आवश्यकता प्रमाण पत्र और संबद्धता प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी। आयुष विश्वविद्यालय ने मेडिकल कालेज प्रबंधन अंबिकापुर के आवेदन को स्वीकार करते हुए 15 सदस्यीय विशेषज्ञ चिकित्सकों को अधिकृत किया है। सभी विषय के विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सोमवार को मेडिकल कालेज अंबिकापुर का निरीक्षण कर उपलब्ध सुविधाओं और संसाधनों की जानकारी ली। विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा एक-दो दिन के भीतर आयुष विश्वविद्यालय को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया जाएगा। उसी प्रतिवेदन के आधार पर आयुष विश्वविद्यालय की ओर से आवश्यकता प्रमाण पत्र और संबद्धता प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा, तत्पश्चात मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा नेशनल मेडिकल काउंसिल को आवेदन प्रस्तुत किया जाएगा। प्रत्येक विषय के लिए दो लाख 36 हजार रुपए निर्धारित शुल्क जमा किया जाएगा। 27 नवंबर तक शुल्क सहित आवेदन प्रस्तुत करना होगा, इसके बाद पूरी संभावना है कि फरवरी-मार्च 2022 से नेशनल मेडिकल काउंसिल की टीम अंबिकापुर मेडिकल कालेज में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू कराने अनुमति देने से पहले निरीक्षण करेगी।

पांच वर्ष के भीतर बड़ी उपलब्धि-

मेडिकल कालेलज प्रबंधन के लिए यह बड़ी उपलब्धि है कि स्थापना के पांच वषोर् के बाद भी यहां स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। एमबीबीएस की मान्यता प्राप्त मेडिकल कालेजों को स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए तीन वर्ष के भीतर आवेदन करना अनिवार्य होता है, इसलिए मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा पहले से ही तैयारी की जा रही है। सरगुजा जैसे आदिवासी बहुल अंचल के लिए यह बड़ी उपलब्धि होगी कि यहां एमबीबीएस के बाद स्नातकोत्तर उपाधिधारक चिकित्सक भी निकलेंगे। इससे यहां चिकित्सा सुविधा में सुधार होगा और अंचल वासियों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

इन विभागों में होगी पढ़ाई-

मेडिकल कालेज प्रबंधन ने स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए विषयवार कुल 48 सीटों का निर्धारण किया है। इसमें एमडी के 35 तथा एमएस के 13 सीट निर्धारित हैं। जिन 15 विभागों में स्नातकोत्तर पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया है। उसमें एनाटामी, फिजियोलाजी, बायोकेमिस्ट्री, फार्माकोलाजी, पैथोलाजी, माइक्रोबायोलाजी, कम्युनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, शिशु रोग, जनरल सर्जरी, अस्थि रोग, नाक कान गला विभाग, नेत्र रोग, प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग तथा निश्चेतना विभाग शामिल है। चार- चार सीटें जनरल सर्जरी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग, निश्चेतना विभाग के लिए निर्धारित किया गया है। सबसे अधिक पांच सीट जनरल मेडिसिन के लिए निर्धारित है। शिशु रोग और बायोकेमिस्ट्री के लिए दो-दो सीट के अलावा शेष विषयों में 33 सीट का निर्धारण किया गया है।

चिकित्सा सुविधा में होगी बढ़ोत्तरी-

मेडिकल कसलेज प्रबंधन का कहना है कि संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में स्थित चिकित्सा महाविद्यालय में इलाज कराने आने वाले मरीजों को गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा एवं सामूहिक समुचित चिकित्सा सुविधा प्रदाय की दृष्टि से तथा और सामयिक विषाणु युक्त महामारी गंभीर रोगों तथा अन्य बीमारियों के उचित उपचार के लिए स्वास्थ सुविधाओं के गुणवत्ता सुधार व जनहित में स्नातकोत्तर उपाधि धारी चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि आवश्यक है। यही वजह है कि मेडिकल कालेज प्रबंधन द्वारा स्नातकोत्तर की पढ़ाई कराने से पहले जरूरी प्रक्रियाओं को पूरा किया जा रहा है ताकि यहां एमबीबीएस के बाद पीजी कक्षाओं का भी संचालन हो सके।

सुविधा बढ़ेगी,अंचल को सीधा फायदा-डा. मूर्ति

मेडिकल कालेज अंबिकापुर के डीन डा. रमनेश मूर्ति ने बताया कि प्रबंधन ने 15 विभागों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए 48 सीट निर्धारित किए हैं। नेशनल मेडिकल काउंसिल से मान्यता के लिए आयुष विश्वविद्यालय से आवश्यकता प्रमाण पत्र और संबद्धता प्रमाण पत्र अनिवार्य होता है। हमने प्रस्ताव बनाकर भेजा था। उसी प्रस्ताव के अनुरूप विश्वविद्यालय द्वारा विशेषज्ञ चिकित्सक नियुक्त किए गए थे। इन चिकित्सकों ने सोमवार को मेडिकल कालेज अंबिकापुर में उपलब्ध सुविधाओं संसाधनों का निरीक्षण कर लिया है। उम्मीद है कि मंगलवार को टीम अपना प्रतिवेदन दे देगी। इसके बाद विश्वविद्यालय की ओर से आवश्यकता प्रमाण पत्र और संबंधित प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा नियमों के तहत हम नेशनल मेडिकल काउंसिल का निरीक्षण कराने के लिए प्रति विभाग 2.36 लाख रुपए जमा कर देंगे। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव की पहल पर गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सुविधा और चिकित्सा शिक्षा के लिए स्नातकोत्तर की पढ़ाई कराने का निर्णय लिया गया है।