


छिंद के केजरी पेट्रोल पंप पर बड़ा खुलासा — स्कूल वेन में पेट्रोल के साथ मिला पानी, इंजन फेल
सारंगढ़, 12 जुलाई |
सारंगढ़ जिले में ईंधन वितरण को लेकर एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है। सारंगढ़ से मात्र 7 किलोमीटर दूर छिंद चूरेला गांव में स्थित केजरी पेट्रोल पंप से शनिवार सुबह आदर्श स्कूल की वैन में 11:25 बजे को पेट्रोल भरवाया गया, लेकिन कुछ दूरी चलने के बाद ही गाड़ी अचानक बंद हो गई। जब चालक ने गैरेज में गाड़ी की जांच करवाई तो हैरान कर देने वाली सच्चाई सामने आई—पेट्रोल में भारी मात्रा में पानी मिला हुआ था।
26 लीटर पेट्रोल में निकला 10 से 12 लीटर पानी
वैन चालक ने सुबह 11:25 बजे पंप से लगभग 26 लीटर पेट्रोल डलवाया था। लेकिन वाहन कुछ किलोमीटर ही चल सका और फिर बंद हो गया। स्थानीय मैकेनिक ने जब टंकी से पेट्रोल निकाला, तो उसमें करीब 10 से 12 लीटर तक साफ पानी पाया गया। इससे इंजन में पानी घुस गया, जिसके चलते पूरा इंजन खोलना पड़ा। वाहन मालिक को मरम्मत में भारी आर्थिक नुकसान हुआ है।
नई टंकी, फिर भी पानी?
पंप को खुले अभी एक साल भी नहीं हुआ है, फिर भी इतनी गंभीर लापरवाही कैसे? या तो पेट्रोल टंकी में निर्माण के समय खामी रह गई या देखरेख में भारी चूक हुई है। बरसात के इस मौसम में यदि टंकी की सीलिंग कमजोर हो तो पानी का रिसाव संभव है, लेकिन इससे आम जनता की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजमी है।
पंप प्रबंधन पल्ला झाड़ता नजर आते है ऐसे मामले पर
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, जब उपभोक्ता ऐसे मामलों की शिकायत लेकर पंप पर पहुंचते हैं तो प्रबंधन अक्सर उपभोक्ताओं को ही दोषी ठहरा देता है — “गाड़ी पुरानी है”, “आपकी टंकी में पहले से पानी होगा” जैसे जवाब देकर वे अपनी जिम्मेदारी से बचते हैं। और गाड़ी एवरेज नहीं दे रहा है पूछने पर भी जवाब मिलता है पेट्रोल पंप में उपस्थित कर्मियों द्वारा।
प्रशासनिक जांच की मांग
यह घटना केवल एक वाहन की नहीं है, बल्कि भविष्य में बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। यदि कोई दोपहिया वाहन या एंबुलेंस ऐसी मिलावट का शिकार हो जाए तो जान का भी खतरा हो सकता है। इसलिए जिला प्रशासन, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग और परिवहन विभाग से मांग है कि इस पंप की जांच की जाए।
फ्री हवा भी सिर्फ नाम की
यह भी उल्लेखनीय है कि सारंगढ़ जिले के अधिकांश पेट्रोल पंपों पर “फ्री हवा” की सुविधा केवल बोर्ड तक ही सीमित है। मशीनें लगी होती हैं लेकिन या तो खराब होती हैं या चालू नहीं की जातीं। जब उपभोक्ता आग्रह करते हैं, तो जवाब मिलता है—”मशीन खराब है”, “कर्मचारी नहीं है”, आदि।




