सारंगढ़। शिक्षा का मंदिर कही जाने वाली संस्था अब व्यवसाय का साधन बनती जा रही है। एनएसयूआई के पूर्व शहर अध्यक्ष योगेश सोनवानी ने कहा कि जहां लोग शिक्षा को महत्व दे रहे हैं, वहीं निजी शिक्षण संस्थान लगातार अपनी मनमानी पर अड़े हुए हैं, स्कूलों और कॉलेजों की फीस में लगातार बढ़ोतरी कर छात्रों और अभिभावकों की परेशानी बढ़ा रहे हैं. एक तरफ महंगाई का असर लगातार बढ़ रहा है तो ऊपर से फीस में बढ़ोतरी अब अभिभावकों पर बोझ बनती जा रही है. हाल ही में निजी चिकित्सा संस्थानों ने फीस में 20 फीसदी की बढ़ोतरी कर चिकित्सा क्षेत्र में पढ़ने वाले छात्रों को संकट में डाल दिया है. डॉक्टर, इंजीनियर और बड़े अफसर बनने का सपना देखने वाले छात्र अपना भविष्य संवारने की सोचते हैं तो फीस को देखते हुए उनका सपना सपना ही रह जाता है। सरकार को ऐसे संस्थानों पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें छात्रों और अभिभावकों के हित में काम करने का निर्देश देना चाहिए और फीस कम करनी चाहिए ताकि छात्रों का भविष्य उज्ज्वल हो और सभी को शिक्षा का पूरा लाभ मिल सके।
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