सरपंच संतराम और सचिव की मनमानी का दंश झेल रहे ग्रामीण
भ्रस्टाचार से परेशान ग्रामीणों ने की कलेक्टर से शिकायत…
वन अधिकार पट्टे हेतु कर रहे पैसों की मांग?
सारंगढ़: सरकार की योजनाओं का कैसे पलिता बनाया जाता है यह सारंगढ़ के वनांचल ग्राम पंचायत अमलीपाली ब मे देखने को मिल रहा है। ग्रामीणों की माने तो सरपंच सचिव मिलकर जमकर भ्रस्टाचार कर रहे हैँ।
सरपंच सचिव के मनमानी से तंग आकर ग्राम तेन्दुवा ग्राम पंचायत अमलीपाली “ब” के ग्रामीणों ने कलेक्टर सारंगढ़ से लिखित शिकायत भी की है।
लिखित शिकायत के अनुसार आवेदकगण गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले मजदूर / भूमिहीन व्यक्ति हैँ जो अपने पिता-पूर्वजों के जमाने से अर्थात विगत 70-75 वर्ष पूर्व से ग्राम तेन्दुवा प.ह.नं.54 रा. नि. म. सालर ग्राम पंचायत अमलीपाली “ब” जनपद पंचायत सारंगढ़ तहसील सारंगढ़ जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ (छ.ग) स्थित शासकीय वन भूमि पर काबिज होकर कड़ी मेहनत-मजदूरी करते हुये कृषि योग्य भूमि बनाकर कृषि काश्तकारी करते चले आ रहे हैं तथा शासन के महत्वकांक्षी योजना वन अधिकार पत्र हेतु पूर्णतः योग्य एवं पात्र हैं। लेकिन सरपंच संतराम और सचिव द्वारा इन्हे सरकारी योजनाओं का लाभ नही दिया जा रहा। ये गरीब मजदूर विगत 4 सालों से सरपंच सचिव और पटवारी के पास दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैँ ।
सरपंच संतराम रखता है आपसी संजिश और द्वेष ?
कलेक्टर से की गई शिकायत की मानें तो ग्राम पंचायत अमलीपाली “ब” के सरपंच संत्तराम पटेल चुनाव के समय से ही तुम लोग मेरे पक्ष में मतदान नहीं किये हो कह कर इन गरीबों से द्वेष भावना एवं आपसी रंजिश रखता है, जिस उनके इन्हे शासन के किसी भी योजना का लाभ दिलाने के पक्ष में नहीं रहता है! इनकी मानें तो इसी कारण काबिज भूमि का इनके नाम से वन अधिकार पत्र जारी नहीं किया जा रहा है।
सरपंच ने धर्मपत्नी को बनाया वन समिति का अध्यक्ष –
शिकायत मे कहा गया है कि सरपंच संतराम पटेल द्वारा स्वयं बेजा लाभ लेने की मंशा से शासन के सभी नियम एवं शर्तों को दरकिनार करते हुये अपने धर्मपत्नी श्रीमत्ती शकुन्तला पटेल को वन समित्ति का अध्यक्ष बनाया गया है तथा सरपंच द्वारा सचिव एवं हल्का पटवारी से सांठगांठ एवं मिलीभगत करते हुये अपने स्वयं के नाम से तथा अपनी धर्मपत्नि/वन समिति की अध्यक्ष श्रीमत्ती शकुनलता पटेल के नाम से व अपने परिवार के सदस्यों सहित अन्य नजदीकी हितैषी व्यक्ति जो कि वन अधिकार पत्र के लिये पूर्णतः अयोग्य एवं अपात्र हैं के नाम से भी पैसे का लेनदेन कर वन अधिकार पत्र जारी कराया गया है।
सरपंच सचिव खुलेआम मांगते हैँ रिश्वत
आवेदकगण के अनुसार सरपंच एवं सचिव द्वारा जमीन के कब्जा अनुसार वन अधिकार पत्र जारी करने के लिये अवैधानिक रूप से रकम की मांग किया जाता है जो पैसा का चढ़ावा देता है उनका काम होता है जो नही देता उन्हे सरपंच सचिव मिलकर इतना परेशान करते हैँ कि उनकी नानी याद आ जाती है। उक्त मामले मे आवेदकों ने कलेक्टर को बताया कि उन्हे भी वन अधिकार पट्टे कि यूज मे मोटी रकम मांगी गई जिसे इनके द्वारा अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण देने हेतु असमर्थता जाहिर किया गया। जिस पर क्रोधित सरपंच ने इनके द्वारा प्रस्तुत आवेदन को जानबुझकर अस्वीकृत कर दिया जाता है जिस कारण हम वन अधिकार पत्र की हर बार वंचित हो जाते हैं।
कलेक्टर से न्याय कि आस
पीड़ित गरीब ग्रामीणों ने सरपंच /सचिव/हल्का पटवारी द्वारा मिलीमगत एवं सांठगांठ कर सरपंच, सरपंच पत्नि/वन समिति के अध्यक्ष, सरपंच के परिवार के रदस्यों, उनके नजदीकी व हितैषी व्यक्तियों के नाम से बनाये गये अपात्र वन अधिकार पत्र को निरस्त किये जाने तथा आवेदकगण को उनके कब्जे की भूमि का वन अधिकार पत्र प्रदान करने हेतु कलेक्टर से निवेदन किया है। तथा दोषी सरपंच, सचिव , अध्यक्ष एवं पटवारी पर कठोर कार्रवाई की अपील की गई है।