
समाचार का प्रकाशन यदि शासकीय कार्य में बाधा है तो नियम विपरीत शासकीय कार्य को करना क्या जिम्मेदार के आचरण में है..?
कोरबा: कोरबा जिला परिवहन कार्यालय में खुलेआम भ्रष्टाचार चल रहा है। गाड़ियों में फिटनेस से लेकर अधिकांश कार्यों में परिवहन विभाग के शर्तों का उल्लंघन करने वाले वाहनों को भी सही ठहराया जा रहा है और बकायदा उन गाड़ियों का फिटनेस प्रमाण पत्र भी जारी किया जा रहा है। कोरबा में यह पहला मौका नहीं है कि परिवहन कार्यालय में अनाधिकृत लोग और अधिकारी हावी है। कार्यालय में खुलेआम अनाधिकृत लोगों का प्रवेश हो रहा है। शासकीय दस्तावेजों में कोड नंबर डाले जा रहे हैं और भ्रष्टाचार की दीमक को पनपाने में भरपूर एकजुटता दिखा रहे है।
परिवहन संबंधी कार्यों के लिए शासन-प्रशासन स्तर पर नियम के अनुरूप कार्य करने को लेकर सभी अधिकारी निर्देशित है बावजूद जिला परिवहन कार्यालय कोरबा में परिवहन के हर कार्य में अनाधिकृत लोग और अधिकारियों की संलिप्तता खुलेआम चल रही है।
इसी तरह अनियमितताओं की बानगी आज फिर देखने को मिली। फिटनेस की जिम्मेदारी निभा रहे निरीक्षक अनुपम पटेल द्वारा पूर्व की तरह चक्का उठे एवं डाला ऊपर बढ़ाये वाहनों का फिटनेस कार्य किया जा रहा था जिसका वीडियो पत्रकार द्वारा बनाया जा रहा था तभी समाचार का प्रकाशन करने वाले पत्रकार से उलझ बैठे और शासकीय कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाते हुए शिकायत की बात तक का डाली और अनाधिकृत लोगों की पैरवी करते हुए उन्हें बचाते भी दिखे।
आप देख सकते हैं परिवहन कार्यालय में फिटनेस अधिकारी निरीक्षक अनुपम पटेल की आवभगत इस कदर की जा रही है केबिन से ही एजेंटों के द्वारा बैग स्टेशनरी और फाइलों को पकड़कर फिटनेस के दौरान अधिकारी के आगे पीछे रहते हैं ताकि इस तरह की आवभगत की एवज में नियम विपरीत गाड़ियों का फिटनेस कराने वाले फाइलों पर भी मुहर लग सके।
चलिए हम मान लेते हैं इनकी बात सही है। लेकिन यदि कार्यालय में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर समाचार का प्रकाशन शासकीय कार्य में बाधा डालना है तो नियम विपरीत गाड़ियों को फिटनेस प्रदान करना क्या एक शासकीय कर्मचारी का कार्य आचरण के अधीन है और यदि अधीन है तो फिर क्या यह मान लिया जाए कि चक्का उठी गाड़ियों का फिटनेस, डालें उठाए हुए गाड़ियों का फिटनेस और स्पष्ट अंको के बगैर लिखे नंबरों जैसी गाड़ियों का भी फिटनेस नियम शर्तों के अधीन है। फिर ऐसे में परिवहन अधिकारी द्वारा पूर्व में दिया गया बयान क्या गलत था या परिवहन अधिकारी के निर्देश पर इस तरह के गाड़ियों को खुलेआम फिटनेस दिया जा रहा है।
नियम अनुरूप कार्यों को लेकर जिला परिवहन अधिकारी जिम्मेदार हैं लेकिन सभी नियम और कायदे सिर्फ कागज और पत्रकारों को बताया जाने वाले स्टेटमेंट पर है। जमीनी स्तर पर परिवहन कार्यालय में कमीशन के बेस में कार्य करने का दुकान चल रहा है।
इससे स्पष्ट है जिला परिवहन कार्यालय के अधिकारी इस तरह के कार्यों को संरक्षण दे रहे हैं। यही कारण है सुबह से शाम तक परिवहन कार्यालय में अनाधिकृत लोगों का मेला लगा रहता है। इस अव्यवस्था का शिकार आम लोग हो रहे हैं वही अधिकारियों के संरक्षण और कर्मचारियों के सहयोग से इशारों पर कार्य किया जा रहा है। जिला परिवहन कार्यालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं को लेकर परत दर परत अनियमितताओं पर समाचार का लगातार प्रकाशन हो रहा है बावजूद अधिकारी, कर्मचारी और अनाधिकृत लोग बेखौफ है।
इससे स्पष्ट है परिवहन कार्यालय में अनियमितता और शासन के निर्धारित दर को प्रभावित करते हुए अनाधिकृत लोगों के दुकानों के संचालन में मुख्य भूमिका परिवहन अधिकारी विजेंद्र सिंह पाटले की है। यही कारण है उनके कर्तव्य निर्वहन या यूं कहें उनके कार्यालयीन समय में हर अधिकारी एवं कर्मचारी के समक्ष उनके कार्यालय को सुशोभित कर रहे हैं।
पूर्व में जिला परिवहन अधिकारी द्वारा बयान दिया गया था कोविड-19 के निर्देशों के अनुपालन को लेकर जिला प्रशासन द्वारा जारी निर्देशों के परिपालन में कार्यालय में अनाधिकृत व्यक्तियों और एजेंटों का प्रवेश नहीं हो रहा है। ऐसे में लगातार प्रकाशन की गई समाचार से स्पष्ट है कि परिवहन कार्यालय में ही किस तरह अनियमितताएं हो रही है और अनाधिकृत लोगों को फायदा पहुंचाया जा रहा है। अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा अनाधिकृत लोगों को फायदा इसलिए पहुंचाया जा रहा है ताकि इनके इशारों पर कार्य करने से अधिकारी और कर्मचारियों की जेब रोज गरम हो रहे हैं। शायद यही कारण है अनाधिकृत व्यक्ति मस्त हैं और परिवहन विभाग के सारे दावे पस्त हैं।
जिला प्रशासन द्वारा सख्ती बरतते हुए सभी कार्यालयों में आम लोगों को राहत देने का बात जिला दंडाधिकारी कोरबा द्वारा बैठकों में कई बार जिक्र करते हुए बर्दाश्त नहीं करने की बात कही गई है। लेकिन कोरबा परिवहन कार्यालय में विजेंद्र सिंह पाटले और उसके कर्मचारियों द्वारा जिले में अनियमित कार्यों को खुलेआम कर रहे हैं। इस तरह अधिकारियों और कर्मचारियों के आचरण से जिला प्रशासन के निर्देशों का भी खुलेआम उल्लंघन हो रहा है।
पैसों के दम पर फिटनेस और लाइसेंस जारी करने वालों की दुकानें खुलेआम चल रही है इसका दुष्परिणाम है सड़कें टूट रही हैं और दुर्घटनाएं बढ़ रही है।