

स्थान: कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), भाटापारा
भाटापारा, 23 सितम्बर 2025: फोरम ऑफ केवीके एंड एआईसीआरपी के राष्ट्रव्यापी आह्वान के अनुरूप, इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के प्रशासनिक नियंत्रण मे कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), भाटापारा के अधिकारी/ कर्मचारियों ने आज “कलम बंद हड़ताल” एवं प्रदर्शन कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आंदोलन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की भेदभावपूर्ण नीतियों के विरोध में और “वन नेशन, वन केवीके, वन पॉलिसी” की माँग को लेकर किया गया।
केवीके भाटापारा के कर्मचारियों ने सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक केंद्र पर ही एकत्रित होकर विरोध-प्रदर्शन किया। उन्होंने तैयार किए गए बैनर और प्लेकार्ड्स के माध्यम से अपनी माँगों को रखा और “हमें चाहिए न्याय”, “वन नेशन-वन केवीके-वन पॉलिसी” जैसे नारों के साथ आईसीएआर की भेदभावपूर्ण रवैये के खिलाफ आवाज़ बुलंद की।
केवीके भाटापारा के प्रतिनिधि ने बताया कि यह विरोध केवल वेतन की बात नहीं, बल्कि सम्मान और समान अधिकारों की लड़ाई है। “हम आईसीएआर के अधीन काम करने वाले अपने सहयोगियों के समान ही जिम्मेदारियाँ निभाते हैं, लेकिन वेतन, पदोन्नति, भत्तों और सेवानिवृत्ति लाभों में हमें लगातार दोयम दर्जे का व्यवहार झेलना पड़ रहा है। यह अन्यायपूर्ण है और इसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।”
उल्लेखनीय है कि देश के 91% केवीके आईसीएआर के अलावा राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, एनजीओ और राज्य सरकारों द्वारा संचालित हैं। फोरम का आरोप है कि आईसीएआर द्वारा गैर-आईसीएआर केवीके के कर्मचारियों के साथ व्यवस्थित भेदभाव किया जा रहा है, जो संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।
केवीके भाटापारा के कर्मचारियों ने फोरम के निर्णय का पूर्ण समर्थन करते हुए चेतावनी दी है कि यदि उनकी माँगों पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया, तो वे आगामी VKSA (रबी) अभियान (3-18 अक्टूबर 2025) का पूर्ण बहिष्कार करेंगे। उन्होंने आईसीएआर और केंद्र सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करके परोदा समिति की सिफारिशों को लागू करने और सभी केवीके कर्मचारियों के लिए एकसमान नीति सुनिश्चित करने की माँग की है।
इस आंदोलन का उद्देश्य केवल कर्मचारियों के हितों की रक्षा करना ही नहीं, बल्कि केवीके प्रणाली की दक्षता बनाए रखना भी है, ताकि किसानों को निर्बाध रूप से बेहतर सेवाएं मिलती रहें।