परिवहन अधिकारी एवं कर्मचारी कर रहे विभाग की गोपनीयता भंग, दूसरों को बताया जा रहा विभाग का पासवर्ड देखें रिपोर्ट…
कोरबा: जिला परिवहन कार्यालय में परिवहन अधिकारी की मनमानी इन दिनों चरम पर है, वहीं परिवहन अधिकारी का संरक्षण कार्यालय में पदस्थ सभी कर्मचारियों पर है। नतीजा कर्मचारी विभाग की गोपनीयता को भंग कर रहे हैं, कार्य के लिए जारी पासवर्ड दूसरों को बता रहे है और तो और अपने कार्यों को स्वयं करने के बजाय अनाधिकृत ब्यक्ति को अपने केबिन अंदर बिठा कर करा रहे हैं जिसकी बानगी कार्यालय में प्रतिदिन देखने को मिल रही है।
इस वीडियो को गौर से देखिए इसमें आप जो तस्वीर देख रहे हैं यह केबिन परिवहन कार्यालय कक्ष क्रमांक 3 गीता ठाकुर मेडम की है जो कि सहायक ग्रेड 1 की श्रेणी में पदस्थ है। विभाग में इन्हें फाइलों की जांच करना और जांच करने के बाद फाइल को आगे बढ़ाने का जिम्मा सौपा गया है। लेकिन आप इस वीडियो में देख सकते हैं किस तरह गीता ठाकुर मेडम द्वारा नियम विपरीत अपने केबिन अंदर अनाधिकृत व्यक्ति कामेश को अपने सामने वाली सीट पर बिठा कर काम करा रही है। कामेश द्वारा फाइलों का जांच किया जा रहा है और उसके बाद फाइल गीता ठाकुर मेडम को सौप रहा है।
दूसरी वीडियो परिवहन कार्यालय के कक्ष क्रमांक 11 में पदस्थ ममता गुप्ता मेडम की है जो सहायक ग्रेड 2 श्रेणी के पद पर पदस्थ हैं। मेडम का काम पुराने लाइसेंस संबंधी पेपरों की स्क्रुटनी करना और जांच कर पेपर को आगे कार्रवाई के लिए भेजना है। मगर आप इस वीडियो को देखिए यहाँ ममता गुप्ता मेडम द्वारा अपने केबिन अंदर अनाधिकृत युवक राकेश को बिठाकर कार्य करा रहीं है और इन्हें ओटीपी बता रहे हैं और अनाधिकृत युवक द्वारा पेपर को एंट्री किया जा रहा है।
तीसरी वीडियो परिवहन कार्यालय के कक्ष क्रमांक 5 में कार्य करने वाली सुमन जगत मेडम का है जिन्हें लर्निंग लाइसेंस सेक्शन का कार्य दिया गया है। आप इस वीडियो में देख सकते हैं कि मेडम के केबिन में कमलेश नामक युवक द्वारा मेडम की मौजूदगी में विभागीय कार्य किया जा रहा है।
इसी तरह की और भी तस्वीरे परिवहन कार्यालय अंदर अन्य कर्मचारियों के केबिन अंदर और बाहर प्रतिदिन देखने को मिल रही है जहाँ अनाधिकृत लोगों या यूं कह सकते है कि इनसे संरक्षण प्राप्त एजेंट अपने कामों को कराने मिल रहे हैं और कर्मचारी भी अपने केबिन के दरवाजे को अंदर से बंद कर रहे हैं। फिर भी परिवहन अधिकारी इस सच्चाई को झुठला रहे हैं।
इन सभी तस्वीरों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि परिवहन कार्यालय में परिवहन अधिकारी की इच्छाचारी चरम सीमा पर है और परिवहन अधिकारी के संरक्षण में ही कर्मचारियों द्वारा यह खेल खेला जा रहा है। परिवहन अधिकारी एवं कर्मचारियों के मन में इस बात का जरा सा भी भय नहीं है कि इस तरह के नियम विपरीत कार्य करने से उन पर प्रशासनिक कार्यवाही हो सकती है।
शायद यहां हम कुछ गलत कह गए, क्योंकि जिस तरह लगातार परिवहन अधिकारी की मनमानी और परिवहन कार्यालय में चल रहे अनैतिक गतिविधियों का खुलासा पूरे साक्ष्य के साथ समाचार के माध्यम से प्रसारित किया गया था और स्वयं जिला दंडाधिकारी को परिवहन अधिकारी के विरुद्ध लिखित शिकायत भी प्राप्त हुई थी बावजूद परिवहन अधिकारी को लगातार जिला प्रशासन की कार्यवाई से उन्हें अभय दान मिलता चला आ रहा है।
इस तरह की घोर लापरवाही करने वाले जिला परिवहन अधिकारी पर जिला प्रशासन की मेहरबानी आखिर क्यों? क्या जिला प्रशासन को कार्य करने के लिए ऐसे ही गैरजिम्मेदार अधिकारी चाहिए? जिला प्रशासन की कलम की स्याही ऐसे नियम विपरीत कार्य करने वाले अधिकारी के खिलाफ कार्यवाई करने क्यों रुक जा रही है? अगर जिला प्रशासन को ऐसे ही गैर जिम्मेदार अधिकारी चाहिए तो फिर शासन प्रशासन के उन तमाम नियम एवं निर्देशों का क्या जिसके परिपालन को लेकर शासन प्रशासन द्वारा लगातार निर्देश दिए जाते हैं। यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
जिला प्रशासन को चाहिए इस तरह जिला परिवहन कार्यालय में भ्रष्टाचार को पनपा रहे अनैतिक कार्य करने वाले परिवहन अधिकारी विजेंद्र सिंह पाटले पर सख्ती बरतते हुए तत्काल कार्यवाही करें ताकि इस तरह की अव्यवस्था कार्यालय में समाप्त हो सके साथ ही विभाग की गोपनीयता भंग न हो सके। भविष्य में आने वाले समय में दूसरे अधिकारी के मन में जिला प्रशासन की कार्रवाई का भय बना रहे, वहीं इस तरह के अनैतिक कार्यो की पुनरावृत्ति को होने से रोका जा सके। अब देखना होगा कि इस मामले को लेकर जिला प्रशासन किस तरह की कार्रवाई करती है यह कार्रवाई होने के बाद ही पता चल सकेगा।