एक बार फिर सुर्खियों में आया साल भर पहले सील हुआ मनोज टिम्बर! हफ्ते भर पहले हुई वन विभाग की दबिश से बौखलाया मालिक !पत्रकार को दी सरेआम धमकी! आज फिर धराया लकड़ियों से भरा एक संदिग्ध ट्रैक्टर…?? और भी बहुत.. कुछ पढ़ें पूरी खबर
रायगढ़: वन विभाग की दबिश से बौखलाए लकड़ी टाल संचालक द्वारा बीच सड़क पर खुलेआम गंभीर परिणाम भुगतने और जान से मारने की धमकी देने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस संबंध में पीड़ित द्वारा जुटमिल चौकी में शिकायत दर्ज कराई गई है।
घटना आज मंगलवार सुबह 10:00 बजे की है। जिसमें पेशे से पत्रकार कबीर चौक निवासी नरेंद्र चौबे को रश्मि टिंबर (मनोज टिम्बर) के संचालक मनोज बेरीवाल द्वारा सावित्री नगर माल धक्का रोड पर सरेआम धमकी दी गई। धमकी के पीछे का मुख्य कारण मनोज बेरीवाल के लकड़ी टाल में कुछ दिन पहले वन विभाग की दबिश है। दरअसल 9 दिसंबर को जूट मिल क्षेत्र में बिना नंबर की एक ट्रैक्टर में भारी मात्रा में लकड़ियां लोड थी। कुछ गलत होने की आशंका को लेकर पत्रकार नरेंद्र चौबे द्वारा ट्रैक्टर चालक से इसके बारे में पूछा गया। जिसके बाद वह हरबडाकर गोलमोल जवाब देने लगा और संबंधित दस्तावेज भी उसके पास ना होने के कारण शंका के आधार पर पत्रकार नरेंद्र चौबे द्वारा इसकी सूचना वन विभाग के उच्च अधिकारियों को दे दी गई थी।
अवैध लकड़ी के संबंध में रश्मि टिंबर में वन विभाग का छापा
मामला संदिग्ध होने के कारण वन विभाग की टीम अधिकारियों समेत मौके पर पहुंची और ड्राइवर से पूछताछ के बाद रश्मि टिंबर गयी। वहाँ जाकर वन विभाग का दल लकड़ी के संबंध में दस्तावेज के संबंध में पूछा गया। जिसके लिए लकड़ी टाल के मालिक द्वारा नियमों का हवाला देते हुए समय की मांग की गई। इसके बाद वन विभाग ने इस पर जांच शुरू की। मगर जांच का जो परिणाम था वह चौंकाने वाला था।
वन विभाग की जांच कटघरे में
खबर मीडिया में भी जोर शोर से प्रसारित हुई। वन विभाग द्वारा क्लीन चिट दिए जाने पर भी वन विभाग की जांच पर भी संदेह की उंगलियां उठने लगी। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण यह था कि वन विभाग को ट्रैक्टर में लोड लकड़ियों के संबंध में जांच करनी थी और उन्होंने सागौन लकड़ी का हवाला देते हुए पूरी जांच का रूप ही मोड़ दिया। वन विभाग के अनुसार उनको सेमल और अर्जुन किसी लकड़ियां मिली। जबकि पूरा मामला संदिग्ध ट्रैक्टर में लोड लकड़ी अवैध थी या नहीं..?? इस बात का था! इस पूरे मामले को देखा जाए तो यह उस तरह का है जैसे किसी मरीज को आँख की प्रॉब्लम हो, और उसके पेट का ऑपरेशन कर डिस्चार्ज कर दिया हो.??
विवादों में रहा है यह टाल
जानकारी के अनुसार पहले यह टाल मनोज टिंबर के नाम से संचालित होता था। करीब साल भर पहले हुई अवैध लकड़ियों को लेकर की गई वन विभाग की कार्रवाई में इसे सील कर दिया गया था । जिसके बाद नाम बदलकर रश्मि टिंबर के नाम से यह संचालित किया जाने लगा।
आज भी मिला है एक संदिग्ध ट्रैक्टर
इस पूरे घटना को बीते अभी कुछ दिन ही हुआ था कि आज फिर ट्रैक्टर पर कुछ लकड़ियां लोड होकर जा रही थी। इस संबंध में पूछे जाने पर अस्पष्ट दस्तावेज दिखाया गया। मामले की जानकारी मिलने पर बौखला कर मनोज बेरीवाल मौके पर पहुंचे। वहापर पहुंचकर पत्रकार नरेंद्र चौबे को लोगों के सामने इसका अंजाम भुगतने की और जान से मार देने तक की धमकी दी गई। जिसके बाद वन विभाग की टीम द्वारा इस ट्रैक्टर को जप्त कर संदिग्ध लकड़ियों की जांच रही है।
कुछ यक्ष प्रश्न…?
इस पूरे मामले के कारण रायगढ़ में चल रहे अवैध लकड़ी का मुद्दा एक बार फिर से पटल पर आया है। जूट मिल क्षेत्र में कई लकड़ी टाल है। रोजाना यहां ट्रैक्टर एवं अन्य साधनों से लकड़ियों का आना जाना होता है। अब इसमें कितनी लकड़ी अवैध रूप से ली गई है और कितनी वैध रूप से..?? साल दो साल में वन विभाग की टीम जागती है..?? तब कार्रवाई की खबरें सुनने को मिलती हैं। जबकि होना यह चाहिए कि निगरानी की सुचारू व्यवस्था होनी चाहिए। इसी बीच अवैध लकड़ियों के संबंध में अगर कोई वन विभाग को सूचित कर दें तो परिणाम धमकी-चमकी और रहस्यमई जांच परिणाम के रूप में सामने आती है। इस तरह की स्थिति आ रही तो कौन सभ्य आदमी इस तरह के गलत को रोकने या इसकी सूचना देने की हिम्मत करेगा..? लेकिन इस पूरे मामले की हाल में हुई दोनों घटनाओं को देखा जाए तो एक बात और समझ से बाहर है कि हर बार जब इस तरह से संदिग्ध लकड़िया पाई जाती हैं तो इसकी कहानी इसी लकड़ी टाल के मालिक के इर्दगिर्द ही क्यू घूमती है..?? क्या किसी टाल को अवैध लकड़ी के संबंध में सील किया गया हो तो नाम बदल देने से सब कुछ वैध हो जाता है??