हितग्राही सरकारी राशन दुकान में मोटे के बजाए पतली चावल वितरण करने की कर रहे हैं मांग
कटेली।बीपीएल परिवारों में मुफ्त में मिलने वाला सरकारी चावल व्यापारियों के गोदामों में पहुंच रहा है। चावल को ऊंची दर पर बेचा जा रहा है। इसके पीछे पूरा चैनल काम कर रहा है।
इसी चावल को दुकानदार व्यापारियों को खपा देते हैं। हर रोज हजारों क्विंटल चावल की अफरा-तफरी हो रही है। इस पूरे घटनाक्रम में मुफ्त के सरकारी राशन से व्यापारी और राशन दुकान संचालक दोनों मुनाफा कमाकर लाल होकर अपनी तिजोरी भर रहे हैं।
जिले के राशन कार्डधारकों के आंकड़ों पर नजर डालें तो चार लाख के करीब कार्डधारक हैं। इनमें ढाई से तीन लाख से ज्यादा बीपीएल राशन कार्डधारी हैं। शेष एपीएल हैं। खाद्यान्न वितरण का मापदंड भी अलग-अलग है। बीपीएल को उचित मूल्य दुकान से चावल फ्री में मिलता है। एपीएल को प्रति किलोग्राम 10 रुपये के हिसाब से दिया जाता है। एक कार्ड में अगर तीन लोग हैं तो बीपीएल को 35 किलोग्राम चावल मिलता है। तीन से ज्यादा सदस्य हैं तो प्रति सदस्य सात किलोग्राम के हिसाब से चावल का वितरण किया जाता है। बीपीएल के लिए फ्री आपूर्ति है।चावल की अफरा-तफरी में दोनों ही तरह के कार्डधारकों को राशन दुकानदार और व्यापारी के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी जिसे दलाल भी कह सकते हैं,जरिया बनाते हैं। बीपीएल व एपीएल दोनों ही तरह के कार्डधारकों से ये सीधे संपर्क में रहते हैं। हर महीने कार्ड के अनुसार मिलने वाला चावल सीधे दलाल के माध्यम से राशन दुकान से सीधे व्यापारी के गोदाम में पहुंच जाता है। कार्डधारकों को प्रति किलोग्राम 25 रुपये के हिसाब से दुकान में ही भुगतान कर दिया जाता है। कार्डधारक भी मुफ्त के माल के एवज में प्रति किलोग्राम 25-27 रुपये के हिसाब राशि गिनकर खुशी-खुशी घर की ओर लौट जाता है। ततपश्चात उक्त राशन दुकान से सीधे व्यापारी के गोदाम में जाने के बाद सरकारी मोटे चावल को पतला बनाने का खेल शुरू हाेता है। देखा जाए तो कानूनी तौर पर सरकारी चावल की खरीदी तथा बिक्री करने पर कानून प्रावधान बनाकर कार्रवाई की जानी है। इस पर समय-समय पर कार्रवाई भी होती है। इसके बावजूद या खेल ब्रेकअप होकर शहर सहित ग्रामीण अंचलों में चल रहा है।
शारटेक्स मशीन बनाता है सरकारी चावल को लाखों लोग रूपए का
व्यापारियों के गोदाम में तथा राइसमिल में आटोमेटिक शार्टेक्स मशीन चावल की छिलाई के लिए लगाया जाता है ।इसमें
पहले मोटा चावल या फिर पुराने चावल को चमकाने के लिए तथा पतला किया जाता है।इसके अलावा जैसे ही चावल को डाला जाता है,वह अपना काम शुरू आटोमेटिक कर देती है। चावल में मिले कंकड़, खराब व काले दाने को निकालकर अलग करने का काम करती है। शार्टेक्स में लगा सेंसर बेहतर क्वालिटी के दानों को अलग करने का काम करती है। उसके बाद मोटे चावल को छीलकर पतला चावल में बदल देती है। क्वालिटी बेस्ड बनाने के साथ ही चमकदार और उपयोगी दानों में बदल देती है। शार्टेक्स में सफाई के बाद राशन दुकान का मोटा चावल,पतले दानों में बदल जाता है।
मुफ्त के चावल की कीमत दुकान में 40 से 42 रुपये
शार्टेक्स की सफाई और चमक के आगे आंखें भी धोखा खा जाती है। व्यापारी राशन के इसी फ्री चावल को तब डिमांड के अनुसार 40 से 42 रुपये किलो के हिसाब से सौदा करते हैं और टनों में चावल बाहर भेजा जाता है। कुछ स्थानो में यह 46 रुपये तक बिक रही है। इस तरह व्यापारी शार्टेक्टस मशीन के जरिए सरकारी ब्रांड को ब्रांडेड बनाने का खेल कर मुनाफा कमा रहे है।
शहरी- ग्रामीण अंचल में हितग्राही मोटा चावल बेंचकर लेते है पतली चावल
सरकारी राशन दुकान में मिलने वाले चावल की क्वालिटी मोटी होती है। हितग्राही राशन दुकान की चावल को 22 से 25 रुपये की दर से राशन दुकान संचालक से लेकर इसकी खरीदी बिक्री में संलिप्त को संचालक तथा कोचिया के पास बिक्री कर देते हैं। इसके पश्चात हितग्राही कुछ और रकम जोड़कर मोटी चावल के बजाए पतली एचएमटी चावल खरीद कर भोजन के लिए उपयोग में लाते है।
मोटे के बजाए पतले चावल की हितग्राही कर रहे है मांग
चावलों के अफरा तफरी के धंधे में जब पड़ताल की गई तो कई हितग्राहियों ने बताया कि सरकारी राशन दुकान में मिलने वाले चावल की क्वालिटी स्तरहीन होती है। इसके अलावा बेहद मोटी होती है, जिसे खाने में लजीत पन का स्वाद नहीं मिल पाता है इन सभी वस्तु स्थिति के चलते मोटे के बजाए पतले चावल वितरण करने की मांग सरकार से कर रहे है।
पिकपक वाहन में लोड कर ले जाते पकड़ाया
सरकारी चावल की अफरा-तफरी में सारंगढ जिले में 15 अक्टूबर को एक पिकपक वाहन क्रमांक सीजी 13 जेड 0675 में चावल लेकर किसी व्यवसाई के गोदाम ले जाया जा रहा था जिसे मुखबिर की सूचना पर पकड़ा गया है।
वर्जन
पिकअप में लोड चावल पुलिस टीम ने पकड़ा है। हमारे पास कार्रवाई के लिए कोई प्रतिवेदन नही आया है। थाने से प्राप्त प्रतिवेदन के बाद जांच उपरांत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
*चितरंजन सिंह, खाद्य अधिकारी जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़*