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छुआ छूत की भावना से ग्रसित स्कूल संचालक द्वारा जाति सूचक शब्दो का प्रयोग करते हुए आर टी ई के तहत चयनित बच्ची को अपने स्कूल में पढ़ाने से किया इनकार…? डीईओ व एस डी एम से शिकायत,जाने क्या है पूरा मामला

शक्ति/ लवसरा. विद्यालय जिसे शिक्षा का मंदिर माना जाता है, जहा पर सभी जाति धर्म के लोग एक साथ शिक्षा ग्रहण करके अपना भविष्य संवारते है यही से शिक्षा ग्रहण करके आप में से हम में से आगे चलकर छात्र कलेक्टर, एस.पी,नेता,अभिनेता,अध्यापक,फौजी, एवम् जिम्मेदार नागरिक बनकर देश की सेवा करते है । लेकिन क्या हो,यदि ऐसे ही शिक्षा संस्थान में किसी व्यक्ति या विद्यार्थी को जातिगत रूप से अपमानित किया जाए उसे निम्न दृष्टि से देखा जाए,क्या असर पड़ेगा उस बच्ची पर जो अपने पिता के साथ खड़ी हो और संचालक उसे हीन दृष्टि से जातिगत शब्दो का इस्तेमाल कर छुआछूत की दृष्टि से उसे स्कूल आने से मना कर रहा हो,ऐसा नहीं है के शासन, प्रशासन या न्यायालय द्वारा इस विषय कुछ नहीं किया गया है संविधान में ऐसे कई प्रावधान है जो धर्म,जाती,पंथ से मुक्त शिक्षा के अधिकार को मानव का मूल अधिकार माना गया है और इससे संबंधित नियम कानून भी बनाए गए है जिसे कठोरता के साथ लागू किया जाता है।फिर भी 21वी सदी में भी ऐसे रूढ़िवादी मानसिकता के लोग मौजूद है जो अपने कुकर्मों से बाज नही आते।


जीहा बिल्कुल कुछ ऐसा ही हुआ है नवीन जिला सक्ती के अन्तर्गत आने वाले संस्कार पब्लिक स्कूल लवसरा में जहां एक RTE में चयनित बच्ची को स्कूल में उसके जाति को देखते हुए उसे प्रवेश नहीं दिया गया


दरसअल पूरा मामला संस्कार पबलिक स्कूल लवसरा का है जहां पर स्कूल के प्रचार्या भुवन साहू ने एक गरीब परिवार के बच्ची का एक साल बेवजह बर्बाद कर दिया , बच्चे के पिता दीनदयाल बरेठ ने जिला शिक्षा अधिकारी एवं अनुविभागीय राजस्व अधिकारी सक्ती को लिखित शिकायत करते हुए कहा कि उनके बेटी हांशिका का चयन RTE शिक्षा का अधिकार के तहत संस्कार पब्लीक स्कूल लवसरा में हुआ था मगर जब छात्र को पढ़ने के लिए जब स्कूल पहुंचाया गया तब शाला के प्रचार्या भुवन साहू ने उसके पिता से कहा कि तुम धोबी जाति के हो कपड़े धोने वाले के बच्चे हो मै तुम्हे अपने स्कूल में नहीं पढ़ा सकता और अगर किसी के दबाव में आकर तुम्हारे बच्चे को शाला में रख भी लेता हूं तो उसको अलग से कमरे के बाहर बैठाऊंगा और शिक्षा नहीं दूंगा कहकर बच्चे को पढ़ाने से मना कर दिया गया, वही बच्चे के पिता ने मीडिया से बात करते हुए यह भी बताया कि उनके पास शाला के प्राचार्य भुवन साहू के द्वारा बच्चे का चयन RTE में नहीं हुआ है कहकर उनसे 2500 सौ रुपए की मांग की जब बच्चे के पिता ने देने से मना किया तब भुवन साहू के द्वारा उनको और उनके बच्चे को जातिशुचक शब्द बोलते हुए स्कूल छात्र और उसके पिता को दुबारा स्कूल आने से मना कर दिया बाद में बच्चे के पिता दीनदयाल बरेठ ने कई बार स्कूल में जाकर अपने बेटी को शाला में रखने की मिन्नते करते रहे मगर उनको स्कूल में प्रवेश करने ही नहीं दिया वहीं छात्रा के पिता ने पूरी मामले में शिकायत करते हुए स्कूल की मान्यता रद्द करने की मांग की है

मामले में क्या कहते है स्कूल के प्रचार्या वही जब हमने स्कूल के प्रचार्या भुवन साहू से मामले के बारे में पूछा तो उन्होंने कैमरे के सामने बात करने से मना करते हुए कहा कि मेरे द्वारा कभी भी उनके बच्चे को स्कूल आने से मना नहीं किया गया है और जाति सूचक शब्दों का प्रयोग भी नहीं किया गया है ,और RTE शिक्षा के अधिकार के तहत चयनित किसी भी छात्र छात्राओं के परिजनों से एक रुपए भी नहीं लिया गया है ,और मेरे द्वारा कई बार बच्चे के परिजनों को बच्चे को स्कूल भेजने के लिए बोला गया है मगर वो खुद नहीं भेजते

संस्कार पब्लिक स्कूल लवसरा के प्राचार्य भुवन साहू सावलो के घेरो मे

(1) कई बच्चो के परिजनों ने भी यह बताया कि प्राचार्य भुवन साहू द्वारा RTE के तहत पढ़ रहे बच्चो के परिजनों से दो दो हजार रूपए लिया जबकि RTE के तहत पढ़ रहे बच्चो एडमिशन पुस्तक ड्रेस जैसे सुविधाएं बिल्कुल फ्री में मिलना होता है जिसके पैसे लिए गए है

(2) पूरे सत्र में अनुपस्थित रही छात्रा फिर भी शाला से नहीं भेजा गया बच्चे के लिए कोई भी नोटिस आपको बता दे की प्राचार्य भुवन साहू के द्वारा हमारे संवाददाता से बात करते समय कहा कि हमारे द्वारा छात्र के परिजनों से कई बार बच्चे को स्कूल भेजने को कहा गया है मगर उन्होंने खुद अपने बच्चे को स्कूल नहीं भेजा ऐसे में सवाल यह है कि स्कूल के प्राचार्य द्वारा लिखित रूप में पालक को अनुपस्थिति नोटिस न देकर मौखिक रूप से स्कूल भेजने को कहा गया क्या यह नियंम विरुध नहीं है?

मामले की शिकायत अधिकारियों से होते ही तिलमिला उठे प्राचार्य

आपको बता दे की जैसे ही बच्चे के परिजन ने परेशान होकर मामले कि शिकायत की और उसकी जानकारी प्रचार्या को मिली तो वे तिलमिला उठे और शिकायतकर्ता के घर जाकर उसे शिकायत को वापस लेने को कहा और अगर शिकायत वापस नहीं लिया तो किसी भी उलटा सीधा केस में फसाने की बात शिकायत पीड़ित को दी जिससे डरकर बच्चे के परिजनों ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है।अब आगे यह देखना होगा के शिकायत करने के बाद जिला शिक्षाधिकारी व अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के द्वारा क्या कार्यवाही किया जाता है या बस जांच के नाम पर मामला ठंडे बस्ते में चला जाता है।

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