0 से 16 वर्ष तक के बच्चो के लिए आयुर्वेद का मंत्रोषधी “स्वर्ण प्रासन संस्कार”
बच्चो के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ के लिए आयुर्वेद का वरदान “स्वर्ण प्रशान संस्कार”
आपको बता दें कि स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चों की शारीरिक एवं मानसिक गति में अच्छा सुधार होता है। यह बहुत ही प्रभावशाली और इम्युनिटी बूस्टर होता है, जो बच्चों में रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ता है। स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चों में विभिन्न रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा होती है।
प्रसिद्ध श्री राधाकृष्ण हॉस्पिटल की डायरेक्टर डॉक्टर निधु साहू का कहना है कि प्राचीन संस्कारों में से एक है स्वर्ण प्राशन संस्कार । यह सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक संस्कार है जो बच्चे के जन्म से लेकर 16 वर्ष की आयु तक कराया जाता है। स्वर्ण प्राशन संस्कार आयुर्वेद चिकित्सा की वह धरोहर है जो बच्चों में होने वाली मौसमी बीमरियों से भी रक्षा करता है। सोलह संस्कारो में पहला संस्कार स्वर्ण प्रशान संस्कार होता है इसमें स्वर्ण भस्म को देशी घी और शहद के साथ घोट कर ड्राफ्ट तैयार किया जाता है यह प्रति माह के पुष्य नक्षत्र में ही कराया जाता है !
बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य में स्वर्ण प्राशन की बहुत अच्छी भूमिका निभाता है। बहुत से लोगों के मन में यह प्रश्न भी उठ सकता है कि क्या इसके कोई दुष्प्रणाम भी हैं? आपको बता दें कि इसके कोई भी दुष्प्रणाम नहीं है। यह पूरी तरह से नेचुरल और सुरक्षित है। स्वर्ण धातु सभी धातुओं में सबसे श्रेष्ठ धातु मानी जाती है। स्वर्ण धातु शरीर के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होती है।
यह बच्चों के शारीरिक, मानसिक विकास तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन सभी कारणों से ही हजारों वर्षों के बाद भी आज स्वर्ण प्राशन का महत्व बना हुआ है। आयुर्वेद के महान ऋषियों का मत था कि कैसे भी मानव शरीर में स्वर्ण (गोल्ड) की आवश्यकता अनिवार्य है। स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चे में मानसिक और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। इसके जरिए बच्चों के शरीर, मन, बुद्धि और वाणी का उत्तम विकास होता है अगला स्वर्ण प्रशान संस्कार दिनांक 4 जून दिन शनिवार को श्री राधाकृष्ण हॉस्पिटल मे होगा