छत्तीसगढ़

परिवहन कार्यालय के बाबू द्वारा अनाधिकृत ब्यक्ति को खिड़की से विभागीय रजिस्टर को करा रहा पार, कैमरे में कैद हुई तस्वीर, देखें रिपोर्ट…

कोरबा: जिला परिवहन कार्यालय कोरबा में मनमानी और अनियमितताओं का मंजर इस कदर छाया हुआ है कि अब बाबू भी अनाधिकृत व्यक्तियों को खिड़कियों से विभागीय फाइलों को देकर कार्य कराने लगे हैं। विभाग के दस्तावेजों को अनाधिकृत व्यक्ति को देना गलत है मगर इस फोटो में स्पष्ट देखा जा सकता है किस तरह बाबू सदानंद जांगड़े द्वारा खुलेआम खिड़की से कार्यालय के रजिस्टर को बाहरी व्यक्ति को सौप रहा है।

आपको बता दे परिवहन कार्यालय कोरबा में सहायक ग्रेड 2 बाबू के पद पर कार्यरत सदानंद जांगड़े को फिटनेस दस्तावेज तैयार करने सहित बाहरी राज्यों से आए गाड़ियों के दस्तावेजों एवं नाम ट्रांसफर की जिम्मेदारी मिली हुई है। बाबू द्वारा प्रतिदिन खुलेआम विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं जिसकी प्रामाणिकता इस तस्वीर ने बयां कर दी है। इसी तरह विभाग के अन्य कर्मचारियों द्वारा भी अपने शासकीय कार्य को कार्यालय में दूसरे अनाधिकृत लोगो से कराया जा रहा था जिसका वीडियो भी सामने आया हुआ था जिसे हमारे द्वारा समाचार में दिखाया भी गया था।

अब सवाल यह उठता है विभागीय कार्यों को निर्भीक होकर इस तरह कार्य करने वाले कर्मचारियों पर भी किसी प्रकार की विभागीय कार्यवाही का भय नहीं है जिसके कारण इस तरह की मनमानी परिवहन कार्यालय में अब आम बात सी हो गई है।
इस तरह के अव्यवस्थाओं पर मुख्य रूप से परिवहन कार्यालय के मुख्य अधिकारी का संरक्षण स्पष्ट है जो इस तरह की गतिविधियों को चीख चीख कर विभाग की अव्यवस्था और बदहाली को बयां कर रहा है।

समाचार प्रकाशन के बाद भी अनियमितता से भरे कार्यों पर अंकुश न लगना भ्रष्टाचार का एक उदाहरण है। इस तरह के कार्यों को अंजाम देने के एवज में मोटी कमाई विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा किया जा रहा है।

सवाल बड़ा है आखिर परिवहन विभाग की गोपनीयता और शासकीय कर्मचारी के कर्तव्य आचरण सहित भ्रष्टाचार पर लगाम को लेकर सारे दावे पस्त नजर आ रहे हैं। आखिर इन अव्यवस्थाओं को रोकने की आवश्यकता है या नहीं। इस तरह के अनैतिक कार्य को अभी तक परिवहन अधिकारी विजेंद्र सिंह पाटले द्वारा नहीं रोका गया है या फिर रोकना नहीं चाहते हैं। इस तरह परिवहन कार्यालय में ब्याप्त अव्यवस्थाओं से स्पष्ट है कि इस तरह के नियम विपरीत कार्य परिवहन अधिकारी के संरक्षण में चल रहे हैं।

सूत्रों की मानें तो वर्तमान में पैसों के दम पर लाइसेंस के कार्यों के लिए अलग-अलग एजेंटों के द्वारा क्षमता के अनुरूप बोली लगाई जाती है और कार्य कराए जाते हैं। इस तरह के आरोप में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है तो क्या कारण है परिवहन कार्यालय में अधिकारियों के कार्य को हमेशा दूसरे लोग करते हैं और कार्यालयीन समय में हमेशा एजेंटों का मेला लगा होता है।

परिवहन कार्य से जुड़े संबंधित अधिकारियों की मानें तो कुछ एजेंट मोटर मालिक के प्रतिनिधि हैं। चलिए मान लेते हैं प्रतिदिन परिवहन कार्यालय में सैकड़ों लाइसेंस, नाम ट्रांसफर, रजिस्ट्रेशन और फिटनेस जैसे अनेक कार्य कराने लोगों का आवेदन विभाग में प्रस्तुत हो रहे हैं। लेकिन सभी कार्यों के लिए क्या हर एक आम आदमी ने प्रतिनिधि नियुक्त किया है और यदि नहीं किया है तो क्या कारण है आमजन अपने कार्य को कराने के लिए एजेंट पर ही निर्भर है।

मिली जानकारी के अनुसार आम लोगों के हर कार्य में विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा त्रुटि बताते हुए कार्य को लेट लतीफी करते है। इस तरह के अव्यवस्था के कारण लोग एजेंट से काम कराने मजबूर हैं और एजेंट द्वारा चाहे वह आवेदन फार्म में नंबरिंग या कोडिंग का हो चाहे खिड़की के बाहर से विभागीय फाइलों के आदान-प्रदान का हो या फिर एजेंट द्वारा अधिकारी कर्मचारियों के दफ्तर में घुसकर कराने का हो, कार्य कराया जाता है।

समाचार संकलन के दौरान भौतिक पड़ताल में परिवहन कार्यालय की सारी अव्यवस्था और आरोप कैमरे में कैद हो चुकी हैं और इस प्रत्यक्ष को प्रमाण की क्या आवश्यकता है। बावजूद कार्रवाई का नहीं होना जिला परिवहन अधिकारी द्वारा इस तरह के कार्य को संरक्षण देना दर्शाता है।

अब देखना होगा परिवहन कार्यालय में नियम विपरित कार्य कराने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों के कार्यों पर अंकुश लगता है या भ्रष्टाचार को अंजाम देने वाले भ्रष्टाचारियों की फौज इन आरोपों को और प्रमाणित करते हुए चलाने को एकजुट रहेंगे।

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