सफलता की कहानी…
सारंगढ़ ग्रामीण स्वरोजगार की दृष्टि से क्रियान्वित शासन की योजनाएं ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान कर रही है। इन योजनाओं के सफल संचालन के फलस्वरूप आज किसान और मजदूर वर्ग आर्थिक रूप से संबल हो रहे है। शासन की योजनाओं का लाभ लेकर ग्रामीण अपनी पसंद का स्वरोजगार प्रारंभ कर अच्छी आय अर्जित कर रहे है। इसका सीधा प्रभाव उनके जीवन स्तर में देखने को मिल रहा है। इसकी एक बानगी देखने को मिली सुकमती के जीवन में, जिन्होंने शासन की योजना का लाभ लेकर बकरी शेड का निर्माण कर बकरी पालन किया और उससे मिले लाभ से उन्होंने अपने पति के लिए एक नई मोटर सायकल खरीदी।
शासन द्वारा महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत ग्रामीणों को स्वरोजगार से जोड़ा जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को आर्थिक सहायता भी मिल रही है। विकास खण्ड सांरगढ़ के ग्राम पंचायत चांटीपाली के आश्रित ग्राम रामभांठा निवासी सुकमती बचपन से ही गरीबी में पली-बढ़ी और विवाह के पश्चात घर चलाने में वह अपनी पति का आर्थिक सहयोग करती थी। उनके पास स्थायी आय का कोई जरिया नहीं था। फिर उन्होंने बकरी और भेड़ पालन शुरू किया और कम समय में ही व्यवसाय से अच्छा लाभ अर्जित हुआ। सुकमती इस व्यवसाय को व्यवस्थित रूप से संचालित कर अधिक लाभ अर्जित करना चाहती थी। इसी दौरान सुकमती ने महात्मा गांधी नरेगा योजना का लाभ लेते हुए 61 हजार 200 रुपये की लागत से बकरी शेड का निर्माण कराया। बकरी शेड बन जाने से सुकमती को बकरी पालन में सुविधा हुई एवं व्यवस्थित होने से इसका लाभ भी मिला। सुकमती ने बताया कि वर्तमान में उसके पास 55 बकरी व भेड़ है। उन्होंने 22 बकरी व भेड़ विक्रय कर 81 हजार रूपए की आर्थिक लाभ मात्र 6 माह में प्राप्त कर चुकी है। जिससे उसके जीवन स्तर में बदलाव आया है।
इस व्यवसाय से अच्छा लाभ होने से सुकमती ने घर की सुविधा के लिए अपने पति के लिए नयी मोटर साइकल भी ले चुकी है। व्यवसाय से अच्छा लाभ देखकर अन्य ग्रामीण भी अपने ही घर में बकरी शेड का निर्माण कर स्वरोजगार से जुड़ रहे है। सुकमती द्वारा बताया गया कि हम ग्रामीणों के लिए महात्मा गांधी नरेगा बहुत लाभकारी साबित हो रहा है।