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कांग्रेस का तीखा हमला — 10,463 स्कूलों की जबरिया बंदी शिक्षा और रोजगार पर कुठाराघात, भाजपा सरकार कर रही शिक्षा व्यवस्था का गला घोंटने की साजिश

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में आयोजित कांग्रेस की विशेष प्रेस वार्ता में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के निर्देश पर पूर्व संसदीय सचिव एवं विधायक महासमुंद श्री विनोद चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 10,463 स्कूलों को बंद करने के निर्णय को लेकर भाजपा पर सीधा और तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था, युवाओं के भविष्य और रोजगार अवसरों पर सीधा कुठाराघात करार दिया।

उन्होंने कहा कि यह निर्णय न केवल शिक्षा विरोधी है, बल्कि यह प्रदेश के हजारों शिक्षकों और स्कूली कर्मचारियों के भविष्य को अंधकारमय करने वाला है। सरकार नए सेटअप के नाम पर प्राइमरी, मिडिल, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों में शिक्षकों के न्यूनतम पदों में भारी कटौती कर रही है। इससे हजारों पद स्वतः समाप्त हो जाएंगे, और नियमित भर्ती के अवसर खत्म हो जाएंगे।

चंद्राकर ने कहा कि वर्तमान में प्राथमिक स्कूलों में 21 छात्र प्रति शिक्षक का अनुपात है, जिसे बढ़ाकर 30 छात्र प्रति शिक्षक किया जा रहा है। इसी तरह, मिडिल स्कूलों में यह अनुपात 26 से बढ़ाकर 35 किया जा रहा है, जिससे शिक्षकों की एक-तिहाई पद कट जाएंगे। यह सब इसलिए किया जा रहा है ताकि सरकार को शिक्षकों की नई भर्ती न करनी पड़े।

उन्होंने बताया कि प्राथमिक कक्षाओं में तीन शिक्षकों को 18 विषयों की 6-6 पीरियड क्लास लेनी पड़ती है, लेकिन युक्तियुक्तकरण के बाद केवल दो शिक्षकों से यह काम करवाया जा रहा है, जो व्यवहारिक रूप से असंभव है। मिडिल स्कूलों में भी एक शिक्षक से 18 क्लास और लगभग 60 छात्रों की पढ़ाई का दायित्व थोप दिया गया है। ऊपर से मध्यान्ह भोजन, पत्राचार, सर्वेक्षण और प्रशासनिक कार्यों की जिम्मेदारी भी शिक्षकों पर ही है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि इन 10,463 स्कूलों की बंदी से न केवल शिक्षक प्रभावित होंगे, बल्कि हजारों रसोइयों, चौकीदारों और मध्यान्ह भोजन तैयार करने वाली महिला समूहों का रोजगार भी छिन जाएगा। यह शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा दोनों पर संकट है।

पूर्व संसदीय सचिव ने बताया कि पूर्ववर्ती रमन सिंह सरकार के समय भी 3,300 से अधिक स्कूल बंद किए गए थे और 12,000 से अधिक शिक्षक पद समाप्त कर दिए गए थे। अब भाजपा सरकार उसी नीति को और व्यापक रूप में लागू कर रही है।

उन्होंने कहा कि इतने बड़े निर्णय को लेने से पहले ना तो पालक संघ से कोई परामर्श किया गया, न ही शिक्षाविदों, छात्र संगठनों या शिक्षा संस्थाओं से चर्चा की गई। यह शिक्षा प्रणाली को चौपट करने की गहरी साजिश है।

चंद्राकर ने सरकार की दोहरी नीति को उजागर करते हुए बताया कि विधानसभा में भाजपा सरकार ने स्वयं माना था कि प्रदेश में 58,000 शिक्षक पद रिक्त हैं, जिनमें से 35,000 पद भरने की घोषणा की गई थी। यहां तक कि बजट में 20,000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया गया, लेकिन अब उन पदों को ही समाप्त कर दिया गया है।

कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि यह निर्णय बस्तर, सरगुजा और जशपुर जैसे दूरस्थ और आदिवासी अंचलों के बच्चों के लिए सबसे ज्यादा नुकसानदायक होगा, जहां शिक्षा की पहले से ही सीमित पहुंच है।

इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। उन्होंने ऐलान किया कि शीघ्र ही सभी जिलों एवं ब्लॉकों में इस निर्णय के खिलाफ आंदोलन चलाया जाएगा, जिसकी तिथि और स्वरूप की घोषणा जल्द की जाएगी।




नेताओं और कार्यकर्ताओं की व्यापक उपस्थिति रही

इस महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से कांग्रेस प्रदेश कमेटी के संयुक्त सचिव दिनेश यदु, विधायक उत्तरी गणपत जांगड़े, नव नियुक्त जिला कांग्रेस अध्यक्ष ताराचंद देवांगन, पूर्व जिलाध्यक्ष अरुण मालाकर, मंजू आनंद, लता जाटवर, डीडीसी विनोद भारद्वाज, सरिता गोपाल, नीतीश बंजारे,  प्राण लहरे, लव साहू,गोपाल बाघे, अजय बंजारे, राधे जायसवाल, पुरुषोत्तम, शुभम बाजपेई, संजय दुबे, गोल्डी नायक और राजकमल सहित बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद रहे।

कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व संसदीय सचिव विनोद चंद्राकर ने किया। यह प्रेस वार्ता दोपहर 4 बजे स्थानीय रेस्ट हाउस में आयोजित की गई थी। मीडिया की भी इस आयोजन में व्यापक उपस्थिति रही — प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक एवं डिजिटल पोर्टलों के अनेक प्रतिनिधि वहां मौजूद थे।

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