छत्तीसगढ़बरमकेला

विधायक मद में चौहान समाज की घोषणा भूले विधायक उत्तरी जांगड़े


घोषणा के बाद भी भवन निर्माण के लिए राशि न मिलने से समाज में आक्रोश

बरमकेला। चौहान समाज की नव निर्वाचित जन प्रतिनिधि सम्मान समारोह अघरिया भवन बरमकेला में विधायक उत्तरी गणपत जांगड़े द्वारा भवन निर्माण के लिए 5 लाख रुपये की स्वीकृति की घोषणा किए जाने पर समाज में भारी उत्साह का माहौल था। विधायक ने समाज के सैकड़ों लोगों के सामने कहा था कि “विधायक मद की राशि जब आएगी, यह मेरी प्राथमिकता में रहेगा।”

लेकिन अब विधायक मद की राशि आने के बाद भी चौहान समाज की घोषणा को दरकिनार कर कुछ चुनिंदा लोगों और अपने करीबी कार्यकर्ताओं को राशि आवंटित कर दी गई। इससे समाज के लोग स्वयं को ठगा महसूस कर रहे हैं।

*विधायक की प्राथमिकता या कार्यकर्ताओं की मनमानी?*
सूत्रों का कहना है कि बरमकेला क्षेत्र में कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मनमानी के चलते विधायक को आने वाले समय में राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। कई कांग्रेस कार्यकर्ता भी विधायक मद की इस बंटवारे से नाराज हैं।

*विवेक के नाम पर मनमानी?*
चर्चाओं में यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या विधायक जी अपने विश्वासपात्र कार्यकर्ताओं के दबाव में निर्णय बदलते हैं या चौहान समाज को प्राथमिकता देना उचित नहीं समझते? कुछ वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि “विधायक का विवेक ही तय करता है कि राशि किसे दी जाए,” पर क्या यही विवेक है कि सार्वजनिक रूप से की गई घोषणा को नजरअंदाज कर दिया जाए?

*बरमकेला  चौहान समाज की नाराजगी*
“हमारे समाज के  नव निर्वाचित जन प्रतिनिधि सम्मान समारोह में विधायक जी को ससम्मान आमंत्रित किया गया था। सैकड़ों लोगों के सामने उन्होंने 5 लाख की घोषणा की थी। अब इस वादे को नजरअंदाज करना चौहान समाज के साथ छलावा करने जैसा है।  अगर विधायक जी इस पर अमल नहीं करेंगे, तो आने वाले दिनों में चौहान समाज की ओर से बड़ा विरोध हो सकता है। अगर भवन देना ही नहीं था, तो इतनी बड़ी घोषणा क्यों की?”



*समाज का सवाल – घोषणा कब पूरी होगी?*
चौहान समाज के लोग पूछ रहे हैं कि यदि विधायक जी को लगता है कि घोषणा को भविष्य में पूरा किया जाएगा, तो आखिर अब तक इसकी पहल क्यों नहीं की गई? क्या समाज की गरिमा और सार्वजनिक विश्वास के प्रति यह उदासीनता उचित है?

*सार्वजनिक धन है विधायक मद – मनमानी नहीं होनी चाहिए*
समाज के कई वरिष्ठजनों ने कहा कि विधायक मद भी शासन की ही राशि है, कोई निजी धन नहीं, इसलिए इसमें मनमानी नहीं की जानी चाहिए। जरूरतमंदों को प्राथमिकता देकर राशि का वितरण किया जाए तो विधायक जी का भी मान-सम्मान बढ़ेगा।

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