कोसीर परियोजना भगवान भरोसे
कोसीर. परियोजना अधिकारी कोसीर परियोजना कार्यालय का संचालन प्रतापगंज सारंगढ स्थित अपने किराये के मकान से संचालित कर रही है। पर्यवेक्षक अपने क्षेत्रों का निरीक्षण कर परियोजना कार्यालय में उपस्थित होती तो है, परन्तु परियोजना अधिकारी के अनुपस्थित रहने के कारण कोई भी कार्य नही हो पाता है । जिससे क्षेत्र के ऑगनबाडी कार्यकर्ता सहायिकाओं को भी परियोजना अधिकारी तथा परियोजना कार्यालय में कार्यरत विवादास्पद कम्प्यूटर आपरेटर के हिटलर तानाशाही कार्यशैली से परेशान हो रहे है, पूर्व में निलंबित विवादास्पद बाबू जो हमेशा कार्यालय में शराब का सेवन करता है, इस भरोसे से चल रहा है इसी कार्यालय में शराब खोरी करने एवं महिला कार्यकर्ताओं के साथ अभद्र व्यवहार करने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। बिडम्बना यह है कि उस लिपिक को निलंबन से बहाल कर कोसीर परियोजना में पदस्थ कर दिया गया है जिससे आम जनों में भारी आक्रोश है । परियोजना अधिकारी व कम्प्यूटर आपरेटर हलधर लहरे जिनके द्वारा अवैध वसूली व कार्यकर्ता सहायिकाओं के साथ अभद्र व्यवहार करने की शिकायतें होती रहती है । सूत्रों की मुताबिक ज्ञात हुआ है कि कम्प्यूटर आपरेटर एक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को फंसा कर अपने साथ रखा हुआ
है ।
कम्प्यूटर आपरेटर के खराब आचरण के कारण परियोजना कार्यालय में कार्यकर्ता सहायिका डर से नही जा पाती है । कम्प्यूटर आपरेटर के कार्यशैली से क्षेत्र की ऑगनबाडी कार्यकर्ता सहायिका भयभीत व डरी सहमी रहती है। कई बार आपरेटर की शिकायत करने के बावजूद परियोजना अधिकारी कोई कार्यवाही नही करती है एवं उसे अपने घर पर रखकर कार्य लेती है । आपरेटर के विरुद्ध शिकायत करने पर मानदेय काटने व देख लेने की धमकियाँ दिये जाने की जानकारी मिली है । परियोजना अधिकारी उस आपरेटर को अपने स्वर्ण मुर्गी के रूप में इस्तेमाल कर रही है ।
परियोजना कार्यालय हमेशा बंद रहता है, परियोजना अधिकारी से सम्पर्क करने उनके द्वारा सारंगढ़ में रहना और यही से कार्य किया जाना बताया गया है । कार्यालय में कम्प्यूटर व आलमारियां तो है पर वह भी परियोजना अधिकारी के घर में है । महिला स्व. सहायता समूहों के बिलों के भुगतान में भारी वसूली व प्रधानमंत्री मातृवंदना के आवेदनों में 100₹ प्रति हितग्राही से लिये जाने की शिकायतें आपरेटर के विरूद्ध हुई है, जिसे परियोजना अधिकारी गुरबारी पैकरा द्वारा नजर अंदाज कर दिया जाता है । आपरेटर का मनोबल इतना बढा है कि वह किसी भी कार्यकर्ता को कही भी कभी भी बुला कर धमका सकता हैं। उनके उपर अधिकारी का क्षत्रछाया होने के कारण कोई कार्यवाही नही होता बल्कि कार्यकर्ता सहायिका शोषण के शिकार हो रही हैं।
आई.सी.डी.एस. परियोजना कार्यालय को प्राप्त सामग्रियों का बंदरबांट कर परियोजना व आपरेटर लहरे अपने जेब भरने में मस्त हैं, आँगनबाडी केन्द्रों तक सामग्री नही पहुच पाता सामान या शाशन को फ़ोटो शेसन हेतु खास कार्यकर्ता को बुलाकर दे दिया जाता है । परियोजना अधिकारी व कम्प्यूटर आपरेटर के विरूद्ध कार्यवाही नही करती है, तो विभाग की छवि धुमिल हो रही है, जिससे वरीष्ठ अधिकारियों को दोनों के विरूद्ध कार्यवाही करने से विभाग की आबरू बच सकता है। हमारी टीम जल्द ही इसकी शिकायत छत्तीसगढ़ के महिला बाल विकास एवं परियोजना मंत्री अनिला के साथ ही कलेक्टर व आयुक्त को करेगी…।