रायपुर: छत्तीसगढ़ के 10 जिलों के 15 नगरीय निकाय में होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी ने संभाग और जिला स्तरीय वित्त कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी निकाय चुनाव के लिए फंड मैनेजमेंट को देखेगी.इसकी जिम्मेदारी पूर्व मंत्री, विधायक, सासंदों को दी गई है.
बीजेपी की इस कमेटी पर अब राज्य में सियासत शुरू हो गई है. कांग्रेस ने इसे भ्रष्टाचार के पैसे के इस्तेमाल का बहाना बताया है. वहीं बीजेपी ने इसे पारदर्शिता के लिए बनाई गई कमेटी करार दिया है. बता दें कि छत्तीसगढ़ में निकाय चुनावों की घोषणा हो चुकी है. प्रदेश के चार नगर निगम, पांच नगर पालिका और छह नगर पंचायतों के लिए वोटिंग 20 दिसंबर को होगी.
कमेटी की आवश्कता के सवाल पर राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना हैं कि चुनाव में खर्च तो सभी करते हैं. प्रत्याशी से लेकर पार्टी तक खर्च करती है. मगर कमेटी के माध्यम से जिम्मेदारियां तय की गई है, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी.
कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील शुक्ला ने हमला बोलते हुए कहा कि बीजेपी की सरकार में कभी ना कभी सब पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा है. अब इन पैसे के उपायोग के लिए कमेटी का गठन किया गया है. वहीं कांग्रेस के बयान पर पलटवार करेत हुए नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही भ्रष्टाचार में लिप्त रही है. कांग्रेस के सिर से लेकर पैर के नाखून तक भ्रष्टाचार में डूबी डूबी हुई है. इसलिए कांग्रेस को सिर्फ और सिर्फ भ्रष्टाचार ही दिखाई पड़ता है, जबकि सबको पता हैं कि छत्तीसगढ़ का पैसा कहां जा रहा है.
चुनावी समर में बीजेपी की वित्त प्रबंधन कमेटी, राजनीति वार और प्रतिवार के बीच राजनीतिक विश्लेषक अनील द्विवेदी का कहना हैं कि बदलते दौर में चुनाव काफी महंगा हो चुका है. एक वह भी दौर था जब प्रत्याशी बैलगाड़ी में घूम-घूम कर ही चुनाव जीत जाते थे और एक दौर आज का है जब चुनाव में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कई तरह के खर्चें होते हैं. बीजेपी की यह कमेटी कई तरह के सवालों को जन्म दे रही है.